प्रदूषण के मामले में यूपी का यह शहर अव्वल, दिल्ली को भी छोड़ा पीछे

गाजियाबाद देश का सबसे प्रदूषित शहर बन चुका है। CREA रिपोर्ट के अनुसार, टॉप 10 सबसे प्रदूषित शहरों में केवल NCR के शहर शामिल हैं जिनमें नोएडा, मेरठ, ग्रेटर नोएडा और दिल्ली भी शामिल हैं। जानिए कौन से शहर सबसे ज्यादा प्रभावित हैं और हवा की गुणवत्ता सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।

Delhi-NCR Pollution
दिल्ली-एनसीआर समेत इन शहरों में प्रदूषण से बुरा हाल
locationभारत
userअसमीना
calendar07 Dec 2025 02:18 PM
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नवंबर 2025 में देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची सामने आई है जिसमें उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद पहले स्थान पर रहा। थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर’ (CREA) की रिपोर्ट के अनुसार, गाजियाबाद में नवंबर महीने का औसत पीएम 2.5 स्तर 24 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। रिपोर्ट ने यह भी बताया कि एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) के हिसाब से गाजियाबाद में 19 दिन बहुत खराब, 10 दिन गंभीर और एक दिन खराब श्रेणी में रहा।

टॉप 10 प्रदूषित शहरों की सूची

गाजियाबाद के बाद नोएडा दूसरे, हरियाणा का बहादुरगढ़ तीसरे और दिल्ली चौथे नंबर पर रहा। कुल मिलाकर, टॉप 10 प्रदूषित शहरों की सूची में केवल NCR के शहर ही शामिल हैं। इस सूची में उत्तर प्रदेश के छह शहर, हरियाणा के तीन और दिल्ली शामिल हैं। दिल्ली में स्थिति और भी चिंताजनक रही। नवंबर में दिल्ली चौथा सबसे प्रदूषित शहर रही जहां मासिक औसत पीएम 2.5 स्तर 215 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया। अक्टूबर की तुलना में यह आंकड़ा दोगुना हो गया। दिल्ली में कुल 23 दिन हवा बहुत खराब, 6 दिन गंभीर और एक दिन खराब रही।

पराली जलाने के कारण हो रहा प्रदूषण

रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि दिल्ली में पराली जलाने की घटनाओं का प्रदूषण में योगदान लगभग 7% रहा। पिछले साल यह योगदान 20% था। इसका मतलब यह है कि अन्य कारणों से भी प्रदूषण बढ़ा है और NCR की हवा लगातार खराब होती जा रही है। नवंबर 2025 में सबसे प्रदूषित शहरों की सूची इस प्रकार है।

गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

नोएडा (उत्तर प्रदेश)

बहादुरगढ़ (हरियाणा)

दिल्ली (दिल्ली)

हापुड़ (उत्तर प्रदेश)

ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश)

बागपत (उत्तर प्रदेश)

सोनीपत (हरियाणा)

मेरठ (उत्तर प्रदेश)

रोहतक (हरियाणा)

पर्यावरणीय नियमों का पालन करना जरूरी

CREA की इस रिपोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि NCR के शहरों में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि हवा रहने योग्य नहीं रही। प्रदूषण में वृद्धि के कारणों में वाहनों से निकलने वाला धुआँ, औद्योगिक गतिविधियां और निर्माण कार्य प्रमुख हैं। गाजियाबाद और उसके आसपास के शहरों में पर्यावरणीय नियमों का पालन सुनिश्चित करना अब बहुत जरूरी हो गया है।


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जाने नए साइबर नियमों के बीच संचार साथी ऐप पर घमासान—क्या है असल कहानी?

संचार साथी ऐप को लेकर फैली चिंताओं के बीच सरकार ने साफ किया है कि यह ऐप सुरक्षा बढ़ाने और साइबर फ्रॉड रोकने के लिए डिजाइन किया गया है। ऐप से जुड़े सभी बड़े फीचर नागरिकों की सहायता पर केंद्रित हैं और इसे अनइंस्टॉल करने की आजादी भी यूज़र्स के पास जारी रहेगी।

Communication companion app
संचार साथी ऐप (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar04 Dec 2025 02:54 PM
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भारत में मोबाइल सुरक्षा और साइबर फ्रॉड पर बढ़ती चिंता के बीच संचार मंत्रालय द्वारा मई 2023 में लॉन्च किया गया ‘संचार साथी ऐप’ तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। खोए हुए फोन को ट्रेस करने से लेकर फर्जी कॉल्स की रिपोर्टिंग तक—यह ऐप अब आम नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण डिजिटल टूल बन चुका है।

भारत सरकार के आदेश के बाद अब देश में बिकने वाले सभी नए स्मार्टफोन में संचार साथी (Sanchar Saathi) ऐप प्री-इंस्टॉल होकर आएगा। इस फैसले के बाद संसद से लेकर सोशल मीडिया तक बहस छिड़ गई है—क्या यह ऐप सुरक्षित है? क्या इससे लोगों की प्राइवेसी पर खतरा हो सकता है? इसी बीच सरकार ने ऐप से जुड़े मिथकों को दूर करते हुए इसके असली फीचर्स और सुरक्षा उपायों की जानकारी साझा की है।

संचार साथी के 5 बड़े फीचर्स

सरकारी ऐप में पांच नागरिक-केंद्रित फीचर शामिल हैं, जो साइबर सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए तैयार किए गए हैं:

1. चक्षु: संदिग्ध धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग सिस्टम

अगर किसी यूज़र को ठगी वाले कॉल/SMS आते हैं तो वे ऐप के ज़रिए तुरंत रिपोर्ट कर सकते हैं।

2. खोए/चोरी हुए मोबाइल का ब्लॉक

फोन गुम या चोरी होने पर, ऐप या उसके वेब पोर्टल से IMEI नंबर को ब्लॉक किया जा सकता है। फोन मिलने पर IMEI फिर से अनब्लॉक किया जा सकता है।

3. अपने नाम पर कितने मोबाइल कनेक्शन हैं—जाँचें

यूज़र यह पता कर सकते हैं कि उनके नाम पर कुल कितने सिम कार्ड जारी हुए हैं।

4. स्मार्टफोन की असलियत जांचें

नया या पुराना मोबाइल खरीदते समय IMEI दर्ज कर फोन का ‘रिपोर्ट कार्ड’ देखा जा सकता है—यानी फोन असली है या नहीं।

5. भारतीय नंबर से आने वाली इंटरनेशनल कॉल्स की रिपोर्ट

फर्जी इंटरनेशनल कॉल्स, जो भारतीय नंबर दिखाती हैं, उनकी शिकायत भी की जा सकती है।

सरकार का स्पष्टीकरण: ऐप से कोई प्राइवेसी खतरा नहीं

सवाल : क्या ऐप प्राइवेसी के लिए सुरक्षित है?

जवाब : सरकार का कहना है कि ऐप कोई भी संवेदनशील डेटा इकट्ठा नहीं करता, और न ही माइक्रोफोन, ब्लूटूथ या लोकेशन डेटा लेता है।

सवाल : क्या ऐप अनिवार्य है, अनइंस्टॉल नहीं किया जा सकता?

जवाब : सरकार के मुताबिक यह प्री-इंस्टॉलेशन का नियम सिर्फ मोबाइल निर्माताओं पर अनिवार्य है। यूज़र चाहें तो ऐप को हटा सकते हैं, उस पर कोई रोक नहीं।

सवाल : क्या ऐप को ज्यादा परमिशन चाहिए?

जवाब : सरकार का कहना है कि ऐप केवल सीमित और जरूरत-आधारित परमिशन लेता है। कॉल/SMS लॉग जैसी बेसिक परमिशन केवल तभी ली जाती है, जब कोई फ्रॉड रिपोर्ट प्रक्रिया में हो। सबूत अपलोड करने की स्थिति में कैमरा/स्टोरेज एक्सेस की जरूरत पड़ती है।

क्या है संचार साथी ऐप?

सरकार द्वारा शुरू किया गया यह ऐप एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां यूज़र खोए या चोरी हुए मोबाइल फोन की शिकायत दर्ज करके IMEI को तुरंत ब्लॉक करा सकते हैं। साथ ही यह संदिग्ध लिंक की रिपोर्टिंग, फ्रॉड कॉल्स की शिकायत और अपने नाम पर रजिस्टर्ड सभी मोबाइल कनेक्शन की जानकारी भी देता है। इसके अलावा, ऐप से यह भी पता लगाया जा सकता है कि कोई स्मार्टफोन असली है या नकली और क्या वह पहले चोरी तो नहीं हुआ था।

कानूनी आधार क्या है?

यह आदेश Telecom Cybersecurity Rules 2024 और Telecommunications Act 2023 के प्रावधानों के तहत जारी किया गया है, इसलिए यह कानूनन वैध है।


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अनिवार्य ऐप इंस्टॉल पर विवाद, Apple ने उठाई गोपनीयता की चिंता

भारत सरकार द्वारा स्मार्टफोन कंपनियों को अपने नए साइबर सुरक्षा ऐप ‘Communication Partner’ को प्रीलोड करने के आदेश के बाद बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है।

Communication Partner Apple
साइबर सुरक्षा ऐप विवाद (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar04 Dec 2025 01:43 PM
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भारत सरकार द्वारा स्मार्टफोन कंपनियों को अपने नए साइबर सुरक्षा ऐप ‘Communication Partner’ को प्रीलोड करने के आदेश के बाद बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। तीन सूत्रों के मुताबिक, Apple इस आदेश का पालन करने की योजना में नहीं है और वह अपनी चिंताओं को औपचारिक रूप से नई दिल्ली तक पहुंचाएगा।

सरकार का आदेश और उसका उद्देश्य

सरकार ने Apple, Samsung, Xiaomi सहित सभी स्मार्टफोन निर्माताओं को निर्देश दिया है कि वे 90 दिनों के भीतर अपने सभी नए फोन में Communication Partner ऐप को प्रीलोड करें । यह ऐप चोरी हुए फोन को ट्रैक, ब्लॉक और उनके दुरुपयोग को रोकने के लिए बनाया गया है। इसके अलावा, आदेश में यह भी कहा गया है कि ऐप को अक्षम नहीं किया जा सके सप्लाई चेन में मौजूद फोन पर भी सॉफ्टवेयर अपडेट के ज़रिए ऐप भेजा जाए। दूरसंचार मंत्रालय ने इसे साइबर सुरक्षा के "गंभीर खतरे" से निपटने के लिए आवश्यक बताया।

Apple की आपत्तियाँ

Apple ने सरकार को संकेत दिया है कि वह किसी भी देश में इस तरह के अनिवार्य प्रीलोडिंग आदेशों का पालन नहीं करता, ऐसा करना iOS की सुरक्षा और गोपनीयता प्रणाली को कमजोर कर सकता है। इसलिए कंपनी इस आदेश को लागू नहीं कर सकती है। Apple ने सार्वजनिक टिप्पणी करने से इनकार किया है, लेकिन आंतरिक रूप से यह स्पष्ट किया है कि आदेश उनकी नीतियों के अनुरूप नहीं है।

राजनीतिक हंगामा और गोपनीयता चिंताएँ

बता दें कि यह आदेश संसद के अंदर और बाहर जोरदार बहस का कारण बन गया। विपक्षी दलों ने इसे “निगरानी का औजार” बताया कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि वे संसद में इस मुद्दे को उठाएंगे। कांग्रेस ने आदेश वापस लेने की मांग की है। पार्टी नेता के.सी. वेणुगोपाल ने कहा है कि बिग ब्रदर हमें नहीं देख सकता। सरकार का तर्क है कि यह ऐप फर्जी IMEI और चोरी हुए फोन की बिक्री को रोकने में मदद करेगा।

अन्य कंपनियों की प्रतिक्रिया

  • Samsung और Xiaomi सहित अन्य कंपनियाँ भी आदेश की समीक्षा कर रही हैं
  • Samsung ने अभी तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं दी है
  • उद्योग सूत्रों ने कहा कि सरकार ने इस आदेश पर उद्योग से कोई व्यापक परामर्श नहीं किया

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